चिनाब ब्रिज: भारत की इंजीनियरिंग का अनोखा नमूना

नरेंद्र मोदी आज 6 जून को उद्घाटन करेंगे

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज, चिनाब ब्रिज, को बनाने में दो हजार वर्कर और 300 इंजीनियरों की टीम ने अहम योगदान दिया है। इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से स्वदेशी स्टील से तैयार किया गया है, जो भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक है।

प्रोजेक्ट लीड रिशम रंजन मलिक की मेहनत रंग लाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज को उद्घाटन करने के लिए तैयार हैं। प्रोजेक्ट लीड और डिप्टी चीफ इंजीनियर रिशम रंजन मलिक ने बताया कि इस ब्रिज को बनाने में कई चुनौतियां आईं, लेकिन उनकी टीम ने हार नहीं मानी। मलिक ने कहा, “यह सिर्फ एक संरचना नहीं, बल्कि भारतीय इंजीनियरिंग की जीत है। हमने 359 मीटर ऊंचे चिनाब ब्रिज को 28 हजार मीट्रिक टन स्वदेशी स्टील से बनाया है।”

भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे पुल

चिनाब ब्रिज भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे पुल है, जो उद्धमपुर-श्रीनगर-बारामूला-रेल लिंक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ब्रिज 40 टन के तीव्र विस्फोट को झेल सकता है, जो इसकी मजबूती को दर्शाता है। इस प्रोजेक्ट में एल्यूसी कंपनी ने डिजाइन वेरिफिकेशन का काम किया, जबकि इसकी पाइललाइन न्यू डेल्ही प्रोजेक्ट से लाई गई, जो इसकी लंबाई को 60 किलोमीटर तक बढ़ाती है।

इंजीनियरिंग का चमत्कार, कश्मीर को जोड़ेगा

चिनाब ब्रिज जम्मू-कश्मीर को देश से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा। यह ब्रिज ड्रोन हमलों से बचने में सक्षम है और इसे बार-बार टेस्ट किया गया है। यह न केवल रेल संपर्क को मजबूत करेगा, बल्कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटन और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा।

चुनौतियों के बीच सफलता की कहानी

इस ब्रिज को बनाने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कश्मीर की विषम परिस्थितियों में काम करना आसान नहीं था, लेकिन इंजीनियरों और वर्करों की मेहनत ने इसे संभव बनाया। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में पांच साल से ज्यादा समय लगा। रिशम रंजन मलिक ने कहा, “हमने हर चुनौती को अवसर में बदला। यह ब्रिज भारत की इंजीनियरिंग का एक मील का पत्थर है।”

चिनाब ब्रिज न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है। यह प्रोजेक्ट स्वदेशी तकनीक और सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देता है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक शानदार उदाहरण है।

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