मुंबई। बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान एक बार फिर अपने फैंस के लिए खास संदेश लेकर आ रहे हैं। उनकी अगली फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ को लेकर एक बड़ी घोषणा हुई है—यह फिल्म सिर्फ थिएटर में रिलीज़ होगी, ओटीटी पर नहीं।
आमिर खान का मानना है कि फिल्में थिएटर में देखने का अनुभव बिल्कुल अलग होता है और वह नहीं चाहते कि दर्शक उनकी इस फिल्म को छोटे पर्दे पर देखें। उन्होंने कहा कि इस फिल्म के जरिए वे मनोरंजन के साथ-साथ एक सामाजिक संदेश भी देना चाहते हैं, और इसका असर तभी पूरी तरह पड़ेगा जब इसे बड़े पर्दे पर देखा जाए।

ओटीटी नहीं, थिएटर ही होगा अंतिम गंतव्य
आमिर ने साफ कहा है कि आजकल अधिकतर फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जल्दी उपलब्ध हो जाती हैं, जिससे थिएटर का आकर्षण कम हो गया है। लेकिन वह इस ट्रेंड को बदलना चाहते हैं। उनका मानना है कि बच्चों और परिवार के लिए बनी फिल्मों को बड़े पर्दे पर देखने का अनुभव अधिक प्रभावशाली होता है।

फिल्म में होगा सामाजिक संदेश
‘सितारे जमीन पर’ ना केवल एक मनोरंजन से भरपूर फिल्म होगी बल्कि इसमें गहरा सामाजिक संदेश भी समाहित रहेगा। आमिर खान ने बताया कि यह फिल्म बच्चों, शिक्षा, और समाज में मूल्यों की भूमिका पर आधारित है। यह फिल्म उन मुद्दों को उजागर करेगी जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
बच्चों पर कम बनती हैं फिल्में
आमिर खान का मानना है कि बॉलीवुड में बच्चों के लिए अच्छी फिल्मों की कमी है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने ‘तारे ज़मीन पर’ बनाई थी, तब लोगों ने उसे बहुत पसंद किया था। अब ‘सितारे जमीन पर’ के माध्यम से वह फिर एक बार बच्चों और परिवारों के दिलों को छूने की कोशिश करेंगे।

“बच्चों को उनके राम से मिलवाना है”
आमिर ने कहा कि उनकी फिल्म बच्चों को उनके ‘राम’ से मिलवाने का प्रयास है। इसका अर्थ यह है कि फिल्म भारतीय संस्कृति, नैतिक मूल्यों और अच्छाई बनाम बुराई की समझ को बच्चों तक पहुंचाने का काम करेगी। उन्होंने बताया कि फिल्म में बच्चों को रावण और राम की कहानी के जरिए जीवन के अहम सबक सिखाए जाएंगे।
18 साल बाद फ्लॉप फिल्म से मिला सबक
आमिर ने एक दिलचस्प बात भी साझा की कि 18 साल पहले जब उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मंगल पांडे’ बनाया था, तब वह बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी। उन्होंने बताया कि उस समय उन्हें समझ आ गया था कि सिर्फ बड़ा बजट और भव्यता ही सफलता की गारंटी नहीं होती, बल्कि कहानी और संदेश सबसे जरूरी होते हैं। इसी सीख को ध्यान में रखते हुए वह ‘सितारे जमीन पर’ बना रहे हैं।